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वास्तु चिन्तामणि
वास्तु निर्माण आयोजना Plan of Construction of Vaastu
प्रथम आयोजना
FIRST PLAN वास्तु का निर्माण निश्चित करने के उपरांत यह विचार करना आवश्यक है कि कहां कहां पर क्या क्या निर्माण करना चाहिए। उमास्वामी आचार्य ने अपने ग्रंथ उमास्वामी श्रावकाचार में इसका उल्लेख इस प्रकार किया है
पूर्वास्यां श्रीगृहं कार्यमाग्नेय्या तु महानसम। शयनं दक्षिणस्या तु नैऋत्यामायुधादिकम्।।112|| भजिक्रिया पश्चिमस्यां वायव्ये धनसंग्रहम्। उत्तरस्यां जलस्थानमैशान्यां देव सद्गृहम्।।13।।
वायव्य
उत्तर
ईशान
जलस्थान
देवस्थान
धन तथा अन्नसंग्रह
पश्चिम
भोजनगृह
पूर्व
श्रीगृह रसोई
शयनकक्ष
शस्त्रगृह प्रसूतिगृह
नैऋत्य
दक्षिण
आग्नेय