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वास्तु चिन्तामणि
प्राप्त रेखा पश्चिम से पूर्व दिशा है। अब इसी रेखा क अ च पर क केन्द्र बिन्दु से एक वृत्त तथा च केन्द्र से दूसरा वृत्त दो हाथ का बनाने पर मध्य में मायाकार बन जाता है। इसके दोनों काटने वाले बिन्दुओं को मिलाने से उत्तर दक्षिण रेखा उ द प्राप्त होती है। यह रेखा पूर्व पश्चिम रेखा को समकोण 90 अंश पर काटती है। पूर्व की ओर मुख करके खड़े होने पर बायीं ओर उत्तर तथा दाहिनी ओर दक्षिणी दिशा समझना चाहिए।
छाया
उत्तर
अ
दक्षिण
च
W
उपरोक्त विधि की अपेक्षा वर्तमान चुम्बकीय सुई से दिशा ज्ञान करना सरल एवं व्यवहारिक है।
N
S
छाया
E