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वास्तु चिन्तामणि
जिस भूमि पर भवन निर्माण दृष्ट हो. जर भूमि में समान नत्रभाग करें। इन नव भागों में पूर्वार्द्ध अष्ट दिशा तथा एक मध्य ब,क,च,त,ए,ह.स.प और ज ऐसे नव अक्षर क्रमवार लिखें। अग्रलिखित रीति से यंत्र बनाकर
'ऊं ह्रीं श्रीं ऐं नमो वाग्वादिनि मम प्रश्ने अवतर अवतर
ईशान
| पूर्व
अग्नि
उत्तर मध्य दक्षिण
च वायव्य | पश्चिम | नैऋत्य
स
शल्य शोधन यंत्र इस मंत्र से खड़िया (सफेद मिट्टी या चाक) को 108 बार मंत्रित करके कुमारी कन्या के हाथ में देकर उससे प्रश्नाक्षर बुलवाना या लिखवाना। यदि उपरोक्त नव अक्षरों में से कोई अक्षर लिखे या बोले उसी अक्षर वाले भाग में शल्य जानना चाहिए। यदि उपरोक्त नव अक्षरों में से कोई अक्षर प्रश्न में न आए तो भूमि शल्य रहित समझना चाहिए। प्रश्नाक्षर शल्य
फल | ब पूर्व में डेढ़ हाथ नीचे मनुष्य की हड्डी | मरणकारक क आग्नेय में दो हाथ नीचे गधे की हड्डी | राजभय
दक्षिण में कमर जितना नीचे मनुष्य मरणभय की हड्डी नैऋत्य में डेढ़ हाथ नीचे कुत्ते की हड्डी | संतान हानि पश्चिम में दो हाथ नीचे बच्चे की हड्डी | गृहपति का परदेश गमन वायव्य में चार हाथ नीचे कोयला मित्रों का अभाव उत्तर में दो हाथ नीचे ब्राह्मण की हड्डी| दरिद्रता
| ईशान में डेढ़ हाथ नीचे गाय की हड्डी | धननाश ज मध्य भूमि में तीन हाथ नीचे अतिक्षार, मृत्युकारक
कपाल, केश