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________________ 26 वास्तु चिन्तामणि लाल रंग की भूमि शूरवीरता के लिए, शारीरिक बल हेतु तथा रूप सौंदर्य हेतु, विशेषतः क्षत्रिय राजपूतों के लिए तथा राजप्रासाद एवं शासकीय भवन निर्माण के लिए उपयोगी है। पीले रंग की भूमि व्यापार वृत्ति के व्यापारी, उद्योगपति, वैश्यों के लिए आर्थिक उन्नति धन धान्य सम्पन्न कराने वाली होने से उनके लिए अनुकूल फलदायक होती है। ऐसी भूमि पर मकान बनाने से परिवार सुखी, समृद्ध एवं धन सम्पन्न बनता है। काले रंग की भूमि शूद्र वृत्ति के लोगों के लिए उपयुक्त है किन्तु अन्य तीन वर्ण वाले यदि वहां वास्तु निर्माण करते हैं, तो उन्हें परेशानियां आती हैं, व्यय अधिक होता है तथा दिन प्रतिदिन व्यय में वृद्धि होती हैं। भूमि का स्पर्श Touch of Land कंकरीली, पथरीली या उबड़ खाबड़ जमीन पर चलने मात्र से मनुष्य दुखी होता है। ऐसी जमीन वास्तु निर्माण के उपरांत भी सुखदायी न होगी । जमीन के स्पर्श मात्र से प्रसन्नता का अनुभव होना चाहिए। जमीन पर चलने से मन में वहां रूककर बैठने की सुखद अनुभूति होना चाहिए। धर्मागमे हिमस्पर्शा या स्यादुष्णा हिमागमे । प्रावृष्युष्णा हिमस्पर्शा सा प्रशस्ता वसुन्धरा ।। समरांगण सूत्र जो भूमि ग्रीष्म ऋतु में ठंडी, शीत ऋतु में गर्म, वर्षा ऋतु में शीतोष्ण ( गरम - ठंडी ) रहती है वह भूमि प्रशंसनीय है। ऐसी भूमि पर निर्माण की गई वास्तु सुखदायक होती है। f 1
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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