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वास्तु चिन्तामणि
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फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा।
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ 'दही बड़ा, मैदा की भुजिया' चढ़ाएँ।
(13) भूधर देव पूजा भूधर देव पधारो यज्ञ में, गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब वस्तु ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में।।13।।
ॐ आं क्रौं ह्रीं कृष्णवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे भूधर देव अत्र आगच्छ - आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे भूधर देव! इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्प, दीप, धूप, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे- यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा!
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ दूध चढ़ाएँ।
(14) सविन्द्र देव पूजा सविन्द्र देव पधारो यज्ञ में, गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में। 11411 ॐ आं क्रौं ही नीलवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे सविन्द्र देव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे सविन्द्र देव! इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं, चरु, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे-यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा।
__ शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ चावल की धाणी और धनिये की धाड़ी चढ़ाएँ।
(15) साविन्द्र देव पूजा । साविन्द्र देव पधारो यज्ञ में, गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में।।15।। ॐ आं क्रौं ही धूम्रवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे साविन्द्र देव अत्र आगच्छ- आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे साविन्द्र देव! इदमर्थ्य पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं, चरुं,