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वास्तु चिन्तामणि
(10) आर्य देव पूजा आर्य कुमार देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्ध्य बनाकर लाया हूँ। सुख समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ।10।। ॐ आं क्रौं ही शुभ्रवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे आर्य देव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे आर्य देव! इदमयं मा , गग, अक्षत पुष्य, दीप, रूपं चम्, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्य समर्पयामि स्वाहा।
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ मैदा का घूगरा और फल चढ़ाएँ।
(11) विवस्वान देव पूजा विवस्वान देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्ध्य बनाकर लाया हूँ।
सुख समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ।।1।। ॐ आं क्रौं ही रक्तवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे विवस्वान देव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे विवस्वान देव! इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्य समर्पयामि स्वाहा।
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ उड़द की धूंगरी तिल चढ़ाएँ।
(12) मित्र देव पूजा शत्रु शक्ति निवारण देव हो, जगत शांतिकरण तुम हेत हो। हम यजें तुम्हें अर्ध्य आदि से, ग्रहण करो तुम देव शांति से।।12।।
ॐ आं क्रौं ही सुवर्णवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे मित्रदेव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे मित्रदेव! इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं, चरुं, बलि,