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वास्तु चिन्तामणि
ॐ आं कों ह्रीं सुवर्ण वर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे पवन देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे पवन देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीपं धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा ।
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शांतिधारा (पुष्पांजलि क्षिपेत् )
अर्घ्य के साथ पिसी हल्दी चढ़ाएँ । (3) कुबेर देव पूजा
कुबेर धनपति की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्घ्य बनाकर लाया हूँ।
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सुख समृद्धि सब शांति पाने अर्चन करने आया हूँ |18|| ॐ आं क्रीं ह्रीं सुवर्ण वर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे कुबेर देव अत्र आगच्छ- आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा ।
हे कुबेर देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूप, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा ।
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शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् )
अर्घ्य के साथ दूध में मिलाया हुआ भात चढ़ाएँ । ( 9 ) ईशान देव पूजा
ईशान कुमार देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्घ्य बनाकर लाया हूँ।
सुख समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ | |9||
ॐ क्रौं ह्रीं शुभ्रवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे ईशान देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा ।
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हे ईशान देव! इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीपं, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा ।
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शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ घी, क्षीरान्न चढ़ाएँ ।