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________________ 194 वास्तु चिन्तामणि दुकान में दो शटर्स या दरवाजे होने पर कभी-कभी ऐसी स्थिति होती है कि एक शटर ६. सोना सा को पाता है। ऐसी स्थिते में सदैव ध्यान रखें कि यदि पूर्व मुखी दुकान है तो एक शटर खोलने की स्थिति में ईशान की ओर का शटर खोलें आग्नेय का नहीं। ___ यदि दक्षिण मुखी दुकान है तो एक शटर खोलने की स्थिति में आग्नेय तरफ की शटर खोलें तथा नैऋत्य की तरफ का न खोलें। यदि दुकान का मुख पश्चिम की ओर हो तो एक शटर खोलने की स्थिति में वायव्य की ओर का शटर खोलें नैऋत्य की तरफ का न खोलें। __यदि दुकान उत्तरमुखी है तो एक शटर खोलने की स्थिति में ईशान की तरफ का शटर खोलें तथा वायव्य की तरफ का न खोलें। यह सदा स्मरणीय है कि वास्तु शास्त्र का उपयोग सिर्फ आवास गृह तक सीमित न होकर सभी निर्माण संरचनाओं तक है। दुकान परिवार के अर्थोपार्जन व आजीविका का प्रमुख साधन है। ऐसी स्थिति में यदि दुकान से समुचित आय नहीं होगी तो परिवार की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाएगी जिसका प्रभाव पारिवारिक शाति एवं धर्म कार्यों पर भी पड़ेगा। अतएव दुकान की स्थिति का ध्यान रखना सार्थक ही है। - फर्श का स्वामी की बैठक अशुभ .....ढलान तीर की • 13 दिशा में a → TT TO | | - 117 111 → 1 सड़क धनपेटी स्वामी की बैठक 0 स्वामी की बैठक अशुभ
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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