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________________ दुकान या व्यापारिक भवन में दिशाओं की अपेक्षा सीढ़ियों का निर्माण निम्न सारणी के अनुसार करना श्रेष्ठ फल दायक निमित्त बनता है - वास्तु चिन्तामणि क्र. ! अभिमुख दिशा | सीढ़ियां | विशिष्ट निर्देश सीढ़ियों का निषेध पूर्व | ईशान से पूर्व तक | आग्नेय में चबूतरा व सीढ़िया ईशान से नीची हों | अर्धवृत्ताकार 2 | पश्चिम । पश्चिम से वायव्य | क. पश्चिम मध्य में चबूतरा नैऋत्य ख. पश्चिम वायव्य में सीढियां ग, पश्चिम मध्य में अर्धवृत्ताकार सीढ़ियां घ. नैऋत्य में चबूतरा फर्श से नीचा न हो दक्षिण | दक्षिण से आग्नेय | क. दक्षिण नैऋत्य से दक्षिण मध्य तक चबूतरा | दक्षिणी नैऋत्य ख. दक्षिण मध्य में अर्धवृत्तः कार सीढ़ी ग. नैऋत्य में चबुतरा फर्श से नीचा न हो उत्तर उत्तर से ईशान या | क. उत्तरी वायव्य से उत्तरी मध्य तक चबूतरा अर्धवृत्ताकार वायव्य से ईशान | ख. ईशान में सीढ़ियां 193
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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