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वास्तु चिन्तामणि पठनीय एवं अनुकरणीय है। इस प्रकरण में पूजा करते समय मुख किस ओर हो तथा दिशानुसार उसका फल क्या है, यह भी वर्णित किया गया है।
दशम प्रकरण में विविध उपयोगी विषयों पर विचार किया गया है। वास्तु विस्तार किस ओर करना, तैयार वास्तु खरीदना अथवा नहीं, वास्तु किराए पर देना या नहीं इत्यादि। इन प्रकरणों पर अन्य प्रकरणों में भी यथावसर संकेत दिए गए हैं
गृहस्थों की आजीविका या तो सेवा (सर्विस) से चलती है अथवा व्यापार, उद्योग या कृषि से। वास्तु शास्त्र का सिद्धान्त सर्वत्र लागू होता है चाहे वह कोई भी भवन या भूमि हो। दुकान एवं व्यापारिक भवन के प्रकरण में ऐसे संकेत दिए गए हैं जिनका अनुकरण करके दुकान में पर्याप्त लाभ अर्जित किया जा सकता है। दुकान का प्रकरण संक्षिप्त किन्तु दिशाबोधक है। कारखाने के वास्तु विचार में भी उपयुक्त संकेत दिए गए हैं। जैसे मशीनें दक्षिण से पश्चिम की ओर हों, विद्युत आपूर्ति आग्नेय से हो, ऊंचे पेड़ दक्षिण या पश्चिम में लगाएं वाटिका उत्तर या पूर्व में लगाएं इत्यादि। कृषि सम्बंधी प्रकरण से स्पष्टत: आचार्यश्री ने बहुस्थावर फसलों एवं कीटनाशकों के प्रयोग का निषेध किया है। अहिंसा एवं वात्सल्य के साक्षात् अवतार कीटनाशक आदि का समर्थन करें यह असंभव ही है।
एकादशम् प्रकरण में ज्योतिष गणित का वर्णन किया गया है। भारतीय शास्त्रों में सर्वत्र ज्योतिष का बड़ा महत्व माना जाता है। किसी भी धार्मिक कार्य अथवा वास्तु निर्माणादि कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व उपयुक्त मुहूर्त आदि निकाले जाते हैं। वास्तु निर्माणकर्ता की राशि के अनुरुप नक्षत्र आदि विचारकर वास्तु का शुभाशुभ ज्ञात किया जाता है। इस ग्रंथ में प्राचीन विधियों से वास्तु की आयु की गणना भी वर्णित की गई है। शेषनाग चक्र, वत्स बल चक्र, वृषभ चक्र आदि का भी ज्ञान गृहारम्भ के पूर्व किया जाता है। गृह प्रवेश मुहूर्त का भी विस्तृत उल्लेख पूज्य गुरुवर ने किया है। वास्तुपुरुष चक्र भी दर्शनीय है। वास्तुसार ग्रंथ में इस संबंध में भी प्रचुर गाथाएं मिलती हैं।
वास्तु निर्माण के उपरांत वास्तु पूजन का उल्लेख आवश्यक है। इस हेतु विविध प्रकार के वास्तु चक्रों का निर्माण किया जाता है। आचार्यों ने वास्तु पूजन विधान करके ही नवीन वास्तु में प्रवेश करने का उपदेश दिया है। वास्तु विधान का संकलन श्रीमद् आशाधरादि विरचित श्री मज्जिनेन्द्र पूजापाठ: (सम्पादक स्वस्तिश्री आर्यव्रती कुलभूषण महाराज) से किया गया एवं पाठकों