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वास्तु चिन्तामणि
लगाकर ढकी नाली से दक्षिण में ले जाना चाहिए। तथा नाली को एक छोटी पृथक कम्पाउन्ड वाल से पृथक कर देवें। ऐसा करने से दक्षिण जल प्रवाह का दोष शमन हो जाता है।
यदि मकान के पश्चिम और उत्तर दोनों ओर सड़क हो तो उत्तरी वायव्य दिशा से जल निकास करना अशभफलदायी है।
यदि मकान के पश्चिम में ही सड़क हो तो जल निकास पूर्व अथवा उत्तरी ईशान में करना अत्यंत श्रेयस्कर है। यदि जल निकास दक्षिणाभिमुखी करना अपरिहार्य हो तो प्रथमत: जल निकास ईशान की ओर करके पश्चात् उत्तरी दीवाल से लगकर नाली बनाएं तथा इसे नैऋत्य में ले जाएं। नाली को पृथक करते हुए अतिरिक्त कम्पाउन्ड वाल बनाएं। यदि पश्चिम में जल निकास किया जाएगा तो पुरुषों के लिए दीर्घ रोग का कारण होगा।