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________________ वास्तु चिन्तामणि 173 जल निकास विचार Chapter for Water Drainage आवास गृहों तथा अन्य वास्तु संरचनाओं में जल प्रवाह एवं जल निकास की व्यवस्था करना आवश्यक होता है। घर में उपयोग के उपरान्त व्यर्थ जल के निकास के लिए नाली की व्यवस्था की जाती है। वर्षा जल के प्रवाह के लिए भी यह अत्यंत आवश्यक है। साधारणत: जल प्रवाह की व्यवस्था निवासगृह के धरातल के अनुरूप अथवा सार्वजनिक नाली व्यवस्था के अनुरूप ही की जाती है। वास्तु निर्माण के समय यदि जल निकास की व्यवस्था दिशा शास्त्र के अनकल रखी जाएगी तो निश्चित ही इसके परिणाम निवासकर्ती के लिए शुभफलदायक होंगे। जिन मकानों के उत्तर में सड़क हो उन्हें व्यर्थ जल प्रवाह ईशान दिशा की तरफ रखना चाहिए। यदि मकान के उत्तर एवं पूर्व दोनों में सड़क हो तो भी ईशान में जलप्रवाह रखना श्रेयस्कर है। ऐसा करना श्रेष्ठ, वैभव वृद्धि तथा वंशानुक्रम निरन्तरता में सहायक है। यदि सिर्फ पूर्व दिशा में सड़क वाला मकान हो तो पूर्व की ओर भी जलप्रवाह उत्तम है। यह स्वास्थ्य वर्धक तथा घर के पुरुष सदस्यों के लिए शुभ माना जाता है। यदि मकान के दक्षिण में सड़क हो तथा पूर्व या पश्चिम में सड़क हो तो ऐसी दशा में क्रमश: आग्नेय अथवा नैऋत्य में जलनिकास व्यवस्था का प्रभाव आवासकर्ता के लिए विपरीत फलदायी होता है। ___ यदि मकान के सिर्फ दक्षिण दिशा में सड़क हो तो जलप्रवाह उत्तर की ओर रखा जाना चाहिए। उत्तर दिशा मातदिशा मानी गई है अत: इससे महिलाओं को आरोग्य प्राप्ति होती है। यदि जलप्रवाह पूर्व की ओर घुमाया जाए तो घर के पुरुष सदस्यों के लिए आरोग्य प्रदाता तो होता ही है साथ ही नाम, यश, कीर्ति की भी प्राप्ति होती यदि किसी कारण दक्षिण दिशा में ही जल निकास करना आवश्यक हो तो प्रथमत: जल प्रवाह ईशान की ओर ले जाकर पश्चात् पूर्वी कम्पाउन्ड वाल से
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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