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________________ 172 वास्तु चिन्तामणि भूमि जल शोधन विधि नल कूप या कुंआ खोदना सार्थक हो इस हेतु भूमि जल शोधन विधि से जल मिलने की संभावना ज्ञात कर लेना उचित है। इनके कुछ तरीके इस प्रकार है1. जिस जमीन में वृक्ष, गुल्म, लता, कमल, गोखरु, खस आदि वनौषधि गुल्म सहित हो अथवा कुश, दूर्वा या हरी घास जहां हमेशा बनी रहती है अथवा जामुन, बहेड़ा, अर्जुन, नागकेशर या मैनफल का पेड़ हो उसके पास ही 30 फुट की गहराई पर पानी की झिरे होती हैं। 2. पहाड़ी के ऊपर एक और पहाड़ी होने पर दूसरी पहाड़ी की तलहटी में 30 फुट पर निश्चित ही पानी मिलता है। 3. जहां पर गुंज, काश, कुशयुक्त जमीन हो या नीले रंग की मिट्टी या रेत हो तो वहां मीठा पानी मिलता है। 4. बालू सहित लाल रंग की जमीन होने पर वहां पानी कसैला होता है। 5. ब्राउन (भूरा मटमैला) रंग की जमीन में पानी खारा होता है। 6. अग्नि, भस्म, ऊंट, गधे के समान रंग वाली जमीन निर्जल होती है। 7. जमीन में चमकदार काले मेघों के समान रंग वाले पत्थर हों, वहां बहुत पानी होता है। 8. स्फटिक, मोती, स्वर्ण, नीले या सूर्यसम तेजस्वी जमीन होने पर निश्चित ही पानी मिलता है। 9. कबूतर के रंग के समान पत्थर हो या सोमलता वृक्ष हो, वहां निश्चित ही पानी होता है। पानी की टांकी यदि भूमिगत पानी की टांकी बनाना हो तो उसे उत्तर, पूर्व अथवा ईशान में बनाना सर्वश्रेष्ठ है। यदि भूमि के ऊपर ओवर हैड टैंक पानी के संचय के लिए बनाना हो तो उसे वायव्य अथवा उत्तर दिशा में बनाना चाहिए। आग्नेय दिशा में कभी भी पानी की टांकी नहीं बनाना चाहिए। अन्य दिशाओं में जल संचय करने से विविध परेशानियां उत्पन्न होती हैं।
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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