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________________ वास्तु चिन्तामणि 161 चौक घर के मध्य की रवाली जगह चौक कहलाती है। मध्य में चौक रहने से पारिवारिक वातावरण अच्छा रहता है। घर में प्राकृतिक प्रकाश भी आता है। ऊपर से इसे एकदम खुला न छोड़ें, छत्त या कम से कम ढंका हुआ अवश्य हो। इससे परिवार में आपसी प्रेम वृद्धिगत होता है। ऐसा न होने से आपसी प्रेम में कमी आती है। भोजन कक्ष Dining Room वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजनकक्ष पश्चिम दिशा में होना सर्वश्रेष्ठ है। पश्चिम दिशा में भोजन शाला होने से भोजन करने में जितनी शाति, सुख, संतोष मिलता है वह अन्यत्र नहीं मिलता। ऐसा भी कहा जाता है कि अतृप्त भूतादि आत्माएं पश्चिम में भोजन शाला रहने से शान्त एवं तृप्त होती हैं। यदि पश्चिम में भोजन शाला बनाई जाती है तो बारात में गाल प्रांति की प्राप्ति होती है। धन धान्य भंडार कक्ष Room for Grantay धन-धान्य का भण्डार यदि जमीन के नीचे रखा जाना हो तो वायव्य दिशा में बनाना चाहिए। यदि तल से ऊपर बनाना हो तो नैऋत्य दिशा सर्वोत्तम है क्योंकि इस दिशा में अधिकाधिक भारी वस्तुएं रखने का विधान है। ___ यदि मकान का मुख दक्षिण या पश्चिम की ओर है तो भूमिगत अन्न भंडार सामने के हिस्से में नहीं बनाना चाहिए। पूर्व मुख वाले मकान में अथवा उत्तर मुख वाले मकान में भी भूमिगत अन्न भंडार उत्तरी ईशान या पूर्वी ईशान में बनाना चाहिए। कुछ अन्य वास्तु शास्त्रज्ञ यह मानते हैं कि भंडार गृह वायव्य में ही बनाना चाहिए। यह धन-धान्य की वृद्धि तथा सुख, समाधान, शाति प्रदान करता है। थोड़ा सा भंडार भी परिवार के लिए सुख का कारण होता है। भंडार हमेशा भरा रहता है।
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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