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वास्तु चिन्तामणि
जिन भूखण्डों में पूर्व या उत्तर में सड़क हों उन पर निर्मित मकानों में ईशान में शौचालय निर्माण करना अत्यंत घातक है। ऐसी स्थिति में पारिवारिक अशांति, असाध्य रोग तथा सदस्यों में अपराधी प्रवृत्ति का उदय देखा जाता है।
जिन भूखण्डों में पश्चिम एवं दक्षिण में सड़क हों उनमें निर्मित मकानों में नैऋत्य में भूमिगत जल संचय (Under grand water tank) कदापि न रखें अन्यथा भीषण परिणाम हो सकते हैं।
जिन भूखण्डों में दक्षिण एवं पूर्व में सड़क हों उनमें निर्मित मकान में आग्नेय में शौचालय बनाना आवश्यक होने पर भी यह ध्यान रखें कि स्नानगृह पूर्व में ही हो !
यदि उद्योग में शौचालय आग्नेय दिशा में बनाना हो तो इसे पूर्वी कम्पाउंड वाल से एक मीटर दूर बनाएं। शौचालय का निर्माण कम्पाउंड वाल से स्पर्श करता हुआ न हो।
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शौच कूप Septic Tank
शौच कूप दक्षिण एवं पश्चिम की तरफ नहीं बनाना चाहिए क्योंकि इस दिशा में गड्ढे बनाने का निषेध किया गया है। उत्तर या पूर्व की ओर इसे निर्माण करना उपयुक्त है। उत्तर या पूर्व की ओर जल का बहाव रहना उत्तम माना जाता है।
यदि पूर्व दिशा में शौचकूप बनाया जाता है तो सम्पूर्ण पूर्व दिशा के परकोटे को नापकर उसके आधे भाग से आगे अर्थात् पूर्व और आग्नेय दिशा के मध्य में बनाना चाहिए।
इसी प्रकार यदि उत्तर दिशा में शौचकूप बनाया जाता है तो सम्पूर्ण उत्तर दिशा के परकोटे को नापकर उसके आधे भाग से आगे अर्थात् उत्तर और वायव्य दिशा के मध्य बनाना चाहिए।
शौचकूप नैऋत्य, आग्नेय, पश्चिम, वायव्य, ईशान तथा दक्षिण दिशा में नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से घर में रोग, मृत्युभय, द्रव्य नाश की संभावना रहती है। पूर्व और उत्तर दिशा का अधिकांश भाग खाली तथा साफ रखना चाहिए। आवश्यक हो तो शौचकूप पूर्व और आग्नेय के मध्य या उत्तर और वायव्य के मध्य बनवाना चाहिए।