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________________ 140 2. हरिद्रांच नरः स दो ह्या । क्षयमप्युपेयात् । वृक्ष लगाने का उपयुक्त नक्षत्र यदि घर में कोई बगीचा या वृक्षारोपण करना हो तो मृग, रेवती, चित्रा, अनुराधा, विशाखा, हस्त, अश्विनी, पुष्य, रोहिणी, शततारका, उत्तराभाद्रपदा और उत्तराषाढ़ा आदि शुभ नक्षत्रों में लगाना चाहिए। विशेष संकेत 3. वास्तु चिन्तामणि 1. जिन भूखण्डों के पश्चिम में सड़क हो तथा पश्चिम में घने वृक्ष हों वे शुभ एवं सुफलदायी होते हैं। उत्तरी वायव्य में पुष्प वाटिका भी लगाना है। 4. नीला पुत्रैर्धनैश्च यः कुर्याद्याग्य नैऋत्याग्नेय कोणेषु वाटिकाम्। अन्यथा कलहोद्वेगौ कष्टवा लभते कृते ।। तस्माद्राज्ञाहिं शुभदं पुत्र पौत्रादि वर्धनम् । पश्चिमोत्तर पूर्वेषु भवेदुपवने कृते ।। वर्जयेत् पूर्वतोऽश्वत्थं प्लक्षं दक्षिणे तथा । न्यग्रोधं पश्चिमे भागे उत्तरे चाप्युदुम्बरम् ।। अश्वत्थे तु भयं ब्रूयात! प्लक्षे ब्रूयात्पराभवम् । न्यग्रोधे राजतः पीड़ा नेत्रात्रयमुदम्बरे । । वटः पुरस्ताद्धनयः स्याद्यक्षिणे चाप्युदुम्बरम् । अश्वत्थं पश्चिमे भागे प्लक्षस्तुतरतो भवेत् ।। उत्तम पश्चिम एवं दक्षिणी भागों में सड़क वाले भूखण्डों के सन्दर्भ में नैऋत्य भाग में ऊंचे घने वृक्ष लगाना शुभफलदायक है। पश्चिमी पार्श्व में सड़क वाले भूखण्डों में पश्चिमी और घने वृक्ष उत्तम फलदायी होते हैं। यदि दक्षिणी एवं पूर्वी पार्श्व में सड़क वाले भूखण्ड हों तो यह आवश्यक है कि वृक्ष दक्षिणी भाग में अर्थात् दक्षिणी आग्नेय एवं दक्षिणी नैऋत्य के मध्य भाग में लगायें। नारियल आदि के वृक्ष लगाये जा सकते हैं। 7
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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