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वास्तु चिन्तामणि
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वर्जयेत्पूर्वतोश्वत्थं प्लक्षः दक्षिणतो गृहात्। पश्चिमेचैव न्यग्रोधस्तथोंदुम्बरमुत्तरे।। देवदानवगंधर्वा किन्नरोरगराक्षसाः।
पशुपक्षि मनुष्याश्चसंश्रयन्ति सदा तरुन्।। विभिन्न वृक्षों के अलग-अलग स्थानो पर रहन के फल निम्नानुसार हैं--
दिशा
परिणाम
वृक्ष का नाम
पीपल
भय
दक्षिण
पाकर
पराभव बड़
पश्चिम राजकीय परेशानियां उदुम्बर उत्तर
नेत्ररोग पूर्व
शुभ, मनोरथ पूरक उदुम्बर दक्षिण
__ शुभ पीपल पश्चिम, दक्षिण
शुभ पाकर
उत्तर | शुभ, धन-धान्य प्राप्ति पुष्प वाटिका आग्नेय, दक्षिण, कलह, मानसिक नैऋत्य
संताप पुष्प वाटिका | पश्चिम, उत्तर, पुत्र, धन-धान्य
पूर्व
सर्वासांवृक्षजातिनांच्छाया वा गृहे सदा। अपि सौवर्णिकोवृक्षो गृह द्वारे न रोपयेत्।। बदरी कदली चैव दाड़िम बीजपूरकम् । प्ररोहति गृहे यस्य तद्गृहं न प्ररोहति।। पलाशा कांचनाराश्च तथा श्लेष्मातकार्जुनाः। करंजाश्चेत्यमी वृक्षाः न रोप्याः सुरिखना गृहे।। असनाः कंटकिनोरिपुभयदाः क्षीरीणोऽर्थ नाशाय। फलिनः प्रजाक्षयकराः दारुण्यपिवर्जयेदेषाम्।।