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वास्तु चिन्तामणि
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खिड़कियां Windows
वास्तु में प्राकृतिक रूप से वायु प्रवाह एवं प्रकाश के लिए खिड़कियां बनाई जाती हैं। दरवाजों की भाति खिड़कियां भी यदि वास्तुशास्त्र के अनुकूल बनाई जाए तो श्रेष्ठ होता है। घर की खिड़कियों का महत्त्व मनुष्य देह में नेत्रों के समान है। जिस भांति नेत्रों से बाहरी परिदृश्य का अवलोकन किया जाता है उसी भांति खिड़कियां भी मकान के बाहरी परिदृश्य का अवलोकन करने का माध्यम है। खिड़कियां सिर्फ वायु के आने जाने का साधन न होकर परिवार में सुख शांति भी बढ़ाती हैं।
पूर्व दिशा में अधिक खिड़कियां बनाने से प्रात: कालीन रवि किरणों का पर्याप्त लाभ होता है। यह घर के शुद्धिकरण, पवित्रता एवं परिवार के स्वास्थ्य की अनुकूलता के लिए निमित्त बनता है। मन की प्रसन्नता, व्यापार की सफलता पारिवारिक सद्भावना, मैत्री का वातावरण निर्मित होता है।
उत्तर दिशा में अधिक खिड़कियां परिवार में धन-धान्य की वृद्धि का हेतु हैं। परिवार में लक्ष्मी का सद्भाव तथा धनपति कुबेर का सहयोग बना रहता
पश्चिम एवं दक्षिण में भी यथावश्यक खिड़कियां बनायी जा सकती हैं। मुख्य प्रवेशद्वार को छोड़कर एक ओर यदि खिड़की बनाई जाये तो आवश्यकतानुसार कहीं भी खिड़की बनाना शक्य है।
खिड़कियों के निर्माण में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना उपयोगी है1. खिड़कियां सदैव दीवाल में ऊपर नीचे न बनाकर एक ही लाईन में
बनाना चाहिए। खिड़कियां अन्दर की ओर खुलने वाली हो न कि बाहर खुलने वाली।
खिड़कियों में फूटे कांच न हों। 4. खिड़कियां सदैव सम संख्या में बनाएं। 5. खिड़कियां दो पल्ले की बनाएं। एक या तीन पल्ले की नहीं।
खिड़कियों में मुख्य दरवाजे जैसी साज सज्जा न करें। सादा पेंट लगाएं।