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________________ 128 वास्तु चिन्तामणि द्वार की ऊंचाई एवं चौड़ाई का विचार Height & Width of Doors घर के दरवाजों की ऊंचाई एवं चौड़ाई का विचार करना भी आवश्यक है क्योंकि इनका प्रभाव घर निवासी पर अवश्य ही पड़ता है। राज वल्लभ ग्रंथ में इसका विवेचन निम्न प्रकार है षष्ट्या वाश शतार्द्ध सप्ततियुतै व्यसस्य हस्तांगुलैर्द्वारस्योवयको भवेच्च भवने मध्यः कनिष्ठोत्तमौ । वैयर्द्धेन च विस्तरः शशिकला भागोधिकः शस्यते, दैर्ध्यात त्र्यंशविहीनमर्द्धरहितः मध्यं कनिष्ठं क्रमात् ।। घर की चौड़ाई जितने हाथ हो उतने ही अंगुल में साठ अंगुल जोड़ देने पर मध्यम नाप की द्वार की ऊंचाई का मान प्राप्त होगा। यदि पचास अंगुल जोड़ें तो कनिष्ठ मान तथा सत्तर अंगुल जोड़ने पर ज्येष्ठ मान समझना चाहिए। यदि दरवाजे की ऊंचाई के आधे भाग में सोलहवें भाग को और जोड़ दें तो इतना मान श्रेष्ठ चौड़ाई होगी। दरवाजे की ऊंचाई का 9 / 16 भाग द्वार की श्रेष्ठ चौड़ाई दर्शाता है। यदि दरवाजे की ऊंचाई का आधा भाग चौड़ाई हो तो यह मान कनिष्ठ चौड़ाई होगा। दरवाजे की ऊंचाई का 1/2 भाग द्वार की कनिष्ठ चौड़ाई दर्शाता है। दरवाजे की ऊंचाई का एक तिहाई भाग कम करने पर शेष दो तिहाई भाग का मान मध्यम चौड़ाई का मान होगा। दरवाजे की ऊंचाई का 2 / 3 भाग द्वार की मध्यम चौडाई दर्शाता है। उदाहरण के यदि किसी दरवाजे की ऊंचाई 96 इंच है तो चौड़ाई के मान निम्न प्रकार होंगे - दरवाजे की चौड़ाई 54 दरवाजे की चौड़ाई 64 दरवाजे की चौड़ाई 48 इंच हो, यह श्रेष्ठ चौड़ाई होगी इंच हो, यह मध्यम चौड़ाई होगी इंच हो, यह कनिष्ठ चौड़ाई होगी |
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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