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वास्तु चिन्तामणि
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मूलगिहे पच्छिममुहि जो बारइ दुन्निबारा ओवरए। सो तं गिहं न भुंजइ अह भुंजइ दुक्खिओ हवइ।।३३ ।। कमले गि जं दवारो अहवा कमलेहिं वज्जिओ हवइ। हिट्टाउ उवरि पिहलो न ाइ थिर लछि सम्म बिहे ।।341
पश्चिम दिशा के द्वार वाले मुख्य घर में दो द्वार और शाला हो तो ऐसे घर में रहने से परिवार जन को दुख होता है।
जिस घर के द्वार एक कमल वाले यानी एक ही पलड़ा हो या बिल्कुल कमलहीन यानी पलड़ा रहित हो तथा द्वार नीचे की अपेक्षा ऊपर की ओर ज्यादा चौड़ा हो तो ऐसा घर लक्ष्मीहीन होता है।