SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वास्तु चिन्तामणि निस्वार्थ भावना से अल्पावधि में तैयार करके दिया है। इससे ग्रंथ की उपयोगिता में पर्याप्त वृद्धि हुई है। इस ग्रंथ की डिजाईनिंग एवं कम्पोजिंग का कार्य यथाशीघ्र श्री मनोहर लाल जैन एवं सुन्दर छपाई का कार्य श्री रवि जैन दीप प्रिंटर्स, नई दिल्ली ने शीघ्रता पूर्वक पूर्ण करके ग्रंथ प्रकाशन में सुन्दर योगदान दिया है। वे भी शुभाशीर्वाद के पात्र हैं । ग्रंथ के प्रकाशन के लिए सक्रिय भूमिका श्री नीलमजी अजमेरा की है। उनके प्रयास एवं सहयोग सराहनीय हैं। उन्हें हमारा पूर्णाशीर्वाद है। वे आदर्श श्रावक बन, परम्परा से आत्म कल्याण को प्राप्त करें। इस ग्रन्थ के लेखन, प्रकाशन इत्यादि कार्यों में जिन लोगों ने भी प्रत्यक्ष - परोक्ष सहयोग दिया है, उन भव्यजनों को हमारा आशीर्वाद हैं। अन्ततः समस्त श्रावकों को हमारा आर्शीवाद है। यह ग्रंथ उनके लिए उपयोगी सिद्ध हो तथा वे सद्गृहस्थ बनकर धर्माचरण करें एवं उत्तरोत्तर उन्नति करें, यही मेरी भावना है। आदि गुरु प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ स्वामी की अनुकम्पा जगत में समस्त प्राणियों पर होवे । जगत की चिन्ताओं को दूर करने वाले प्रभु चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान की कृपा समस्त जीवों पर बनी रहे ! गुरुदेव परम पूज्य गणधराचार्य श्री 108 कुंथूसागरजी महाराज सदा जयवन्त होवें । चिरकाल तक सदैव जिन शासन की प्रभावन होती रहे। समस्त जीवों का कल्याण होवे, इसी शुभ भावना के साथ मैं अपने मनोगत लेखन को विराम देता हूं। अमृतदायिनी जिनवाणी मातेश्वरी की कृपादृष्टि हम सब पर बनी रहे, यही भावना है, XXV प्रस्तुत ग्रंथ रचना में प्रमादवश कोई भूल रह गई हो तो विज्ञ पाठक उसे सुधारकर पढ़ें । ग्रंथकर्ता की भूलों पर ध्यान न देकर उसे संशोधन कर लेवें। श्री क्षेत्र कचनेर 7 जनवरी 1996 प्रज्ञाश्रमण आचार्य देवनन्दि
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy