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वास्तु चिन्तामणि
गोल कोने वाला या एक, दो तीन कोने वाला या दाहिनी और बायीं ओर लम्बा घर रहने योग्य नहीं है।
बैलगाड़ी के अग्रभाग के समान घर अच्छा है। अर्थात् बैलगाड़ी के सरीखा अग्रभाग संकरा तथा पीछे का भाग चौड़ा होना अच्छा है। घर के द्वार भाग से पीछे का भाग ऊंचा होना अतिउत्तम है।
अन्य गेहेर्जाति कांति दृष्टवा सर्वरोग भयप्रदं। दूसरे के घर का प्रकाश अपने घर में आने से अनेक रोग होते हैं।
कूपेनापस्मारे भवति नाशश्च देवतामुखे।
स्त्रीदोषं स्तंभ वढष्टीच कुलनाशं ब्राह्मणगृहे।। अपने घर के मुख्य प्रवेशद्वार के सामने कुंआ होने से उपद्रव होते हैं। मन्दिर के सामने वास्तु होने से सर्वनाश होता है। वास्तु के सामने स्तम्भ होने से स्त्रियों को रोग होता है। घर के सामने अंत्येष्टि, बलि शांतिकर्म कराने वाले ब्राह्मण का घर होने से कुल नाश होता है।