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________________ १२ वक्तृत्वकला के बीज ६. चीन के अध्येता संचिग नीद म आजाय-अतः अपनी चोटी को एक लम्बी रस्सी द्वारा छत से बाँधकर पढ़ा करते थे। -हिन्दुस्तान, बनबरी ७, १९६८ ७. पढ़ने से सस्ता कोई मनोरन्जन नहीं और न कोई खुशी उतनी स्थायी। -लेसी मोंटेम्यू ८, अध्ययन हमें आनन्द और योग्यता देता है एवं अलंकृत करता है। –कांसिस बेकन ६. मनुष्य को प्रतिदिन पर साक्षी मह मिटि ही । प्रतिदिन १५ मिनट पढ़ा जाय एवं प्रतिमिनिट ३०० शब्द की रफ्तार से पढ़ा जाय तो प्रतिमास १ लाख ३५ हजार शब्दों की एक पुस्तक (लगभग २२५ पृष्ठ को पढ़ी जा सकती है। -मममुनि १०. तेज पढ़िये ! इसका अभ्यास करानेवाली अमेरिका में ४०० प्रयोगशालायें हैं। विशेषज्ञों का कथन है कि साधारण व्यक्ति प्रतिमिनिट २५० शब्द पड़ले तो अच्छा ही है, किन्तु ४०० शब्द प्रतिमिनिट पढ़ने से आनन्द आता है। बुद्धिमान को हजार से १८०० तक का अभ्यास करना चाहिए। आपका व्यक्तित्व, पृष्ठ १६४ अध्ययनकाले व्यासन-पारिप्लवमन्यमनस्कतां च न भजेत् । -नीतिबाक्यामृत १११८ विद्याध्ययन के समय शारीरिक व मानसिक चपलता तथा चित्तवृत्ति को अन्यत्र ले जाना—ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए ।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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