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वक्तृत्वकला के बीज
६. अत्ता हि अत्तनो नायो, को हि नाथो परे सिया ?
--धम्मपद-१२।४ आत्मा हो आत्मा का नाथ (स्वामी) है, दूसरा कौन उसका नाथ हो
सकता है ? ७. जारिसिया सिङ्गापा, भवमल्लियजीव तारिसा होति ।
--.नियमसार-४७ जसो शुद्ध आत्मा सिद्धों (मुक्त आत्माओं) की है । मूलस्वरूप में असी ही
संसारस्थ प्राणियों की है। ८. हस्थिस्स य कुथुम्स य समे चेब जीवे ।
-भगवती ७ आत्मा की दृष्टि से हाथी और कुथुआ-दोनों की आत्मा एक समान है ।