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२८ शारीरिकदोष पर आधारित अधमता १. सौ नीत्र र एक आंख मी।
- राजस्थानी कहावत २. सौ में फुन सहत में कारणों, लाखां मांहो ईचातायो ।
ई चाताण वागे पुकार, मुझसे अधिको है मंजार ।। ३. खाटरा खदाग, आरोग्रेग मंन्न रा ।
वाला वहत्तर दोगेगा, काणे संख्या न विद्यते ।। ४. बागियो, बागियो ने ग्वामीनारागिणगो ।
-गुजराती कहावत ५. भस्मा लिन मनमाणी, बामौदी अामी : भागवती लक्रवर्ती घडेले पुरुषाधमाः ।।
-सुभाषितरत्नभाण्डागार, पृष्ठ ३८० स्त्री की गुलामी करने वाले पुरुषों की अपेक्षा से प्रकार के अधम, पुरुष कहे हैं--- (१) भइमाङ्गली. प्रातः जरते ही रत्री के आदेशानुसार प्रतिदिन चूल्हा जलानेवाला । (२) वकोडायो-प्रानः उठते ही स्त्री के आदेशानुगार पानी भरने के लिए तालाब पर जाने वाला एवं यहां वालों को उठाने वाला। (३) बालशौची---प्रातः उरने ही स्त्री र आवशागार प्रतिदिन बालकों कोटी बिटानेवाला । {४) होहो.-स्त्री को हर बात पर हीही कर के दांत दिग्वानेवाला ।। (५) धारावर्ती-रत्री के बनाए हा बालनों को पूरी तरह से पालनवाला। ६) चक्रवर्ती--स्त्री के कुचक्र में बुरी तरह से फंसा रहनेवाला ।