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छठा भाग : पहला कोष्ठक
१६. गजानां पङ्कमग्नानां गजा एव धुरंधराः
पंकनिमग्न हाथियों का उद्धार हाथी हो कर सकते हैं, इसी प्रकार महापुरुषों की सहायता महापुरुष ही कर सकते हैं । १७. महानता के विघातक दोष-
आलस्यं स्त्री-सेवा, सरोगता जन्मभूमिवात्सल्यम् ! सन्तोषो भीरुत्वं षड् व्याघाता महत्त्वस्य ॥
आलस्य, स्त्री-सेवा, अस्वस्थ छह दोष महानता का नाश करनेवाले हैं ।
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- हितोपदेश १५
भूमि से मस और गये
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