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________________ २६४ वक्तृत्वकला के बीज इस महाद्वीप के अन्तर्गत मिध देश में सन् १८६६ में स्वेज स्थल-डमरूमध्य' को काट कर १६० किलोमीटर लम्बी जहाजी-नहर बनाई गई। उसका नाम स्वेज नहर है। वह रक्तसागर और रूमसागर को मिलाती है। उसके बनने से पहले यूरोप से भारत आदि पहुंचने के लिये सारे अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाना पड़ता था । अब ७००० किलो मीटर की बचत हो गई है। यूरोप–महादीप यूरोप एशिया के पश्चिम में और अफ्रीका के उत्तर की ओर स्थित है। वास्तव में यूरोप और एगिया एक ही महान् भू भाग है, जिसे यूरेशिया कहते है । यूरोप के उत्तर में उत्तरी ध्रुव सागर है, दक्षिण में रूम सागर, कृष्ण सागर और काफ पर्वत है, पश्चिम की ओर अन्ध महासागर है और पूर्व में कैस्पियन सागर, यूराल पर्वत और एशिया महाद्वीप है। यह महाद्वीप आस्ट्रेलिया को छोड़कर शेष सभी महाद्वीपों से छोटा है परन्तु धन-सम्पत्ति, व्यापार, शिक्षा-दीक्षा और सामाजिक उन्नति की दृष्टि से संसार भर में सबसे प्रथम स्थान पर है। उत्तरी अमेरिका-यह संसार के सात-महाद्वीपों में तीसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। सिर्फ एशिया और अफ्रीका ही क्षेत्र में इससे बड़े हैं । जनसंख्या की दृष्टि - - - -- नोट १ स्थल उमरूमध्य-ऐसे तंग भु भाग को कहते हैं, जो दो बड़े भू भागों को जोड़ता है।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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