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________________ २८० बक्तृत्वकला के बीज ३. भूगर्भ संसार की खोजविख्यात शोधक और लेखक "डा. रेमोण्ड बरनाड ए. बी. एम. ए. पी-एच. डी. न्यूयार्क विश्वविद्यालय'' अपनी नवीन पुस्तक दी हॉलो अर्थ में लिखते हैं कि-उड़न चकियों का असली गृह एक विशाल भूगर्भ-संसार है, जिसका प्रवेशद्वार उत्तरोय ध्रुव के एक मुखहार में है। पृथ्वी के खोग्वले अन्तरिक्ष में एक मानवोत्तर जाति निवास करती है। जो सतह पर रहने वाले मनुष्यों से कोई सम्बन्ध रखना नहीं चाहत! ! उसने अपनी उड़नचकियों को तभी उड़ाना प्रारम्भ किया, जब मनुष्यों ने अणुबमों के विस्फोटों से दुनियाँ को प्रस्त कर दिया । डा. बरनाई आगे लिखते हैं कि एडमीरल बाई ने एक नौकादल को उक्त ध्रौवीय मुखद्वार में प्रवेश करने का अधिनायकत्व किया तथा इस भूगर्भस्थित लोक में पहुँचे । यह लोक तुषार और हिम से स्वतन्त्र है। इसमें जंगलान्छादित पर्वत श्रगती हैं। झीलें, नदियों वनस्पति तथा विनिय पन भी हैं । इस आविष्कार के समाचार को अमरीका सरकार ने रोक लिया, जिससे दूसरे देश भवान्तरीमा लोक पर हक कायम न कर लें। इस भूगर्भ लोक का क्षेत्र उत्तरीय अमेरिका क्षेत्र से अधिक विस्तृत है । पृथ्वी की सतह मे ८०० मील नीचे एक नवीन संसार की बाज मानन इतिहारा को महानतम खोज है, जिसमें लाखो उच्चतर बुद्धिमान लोग निवास करते हैं । --मोहन, बोठिया "चंचल" जनभारती, ७ नवम्बर, १९६५
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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