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________________ २३ कवियों के लिए विचारणीय बातें - १. कविता करणी खेल नहि, खरो खिलाणों साँप । भूल कां मुख पर लग, आ चनपट चुपचाप ।। दग्धाक्षर रो राखणो, पूरी-पूरी ख्याल । रतनचन्दजी नी परै हुवे अन्यथा हाल' ।। नहीं करणी लेम-इ-र-भ-ख, ग़न्य की कमान । फ्ण स्तुतियां में खासकर, नहिं राखीजै स्यांत ।। -सावधानी से समुद्र, १६.४-५-६ "रतनचन्द नागोर में रे चेनियां !"-.इस पद्म की रचना के वाव अनि रतनचन्द जी ने बिहार विया एवं जङ्गल में चोरों ने उन के कपड़े छीन लिए । यहाँ नागोर में अर्थात् नागोर शहर में-यह अर्थ है, लेकिन 'नागो-रमें' अर्थात् नङ्गा खेल रहा है--यह अर्थ भी निकलता है । इस प्रकार अनिष्ट अर्थ निकल सके-ऐसो पद्यरचना से कवि को बचना चाहिए । ४५
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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