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________________ मनुष्य-जन्म की दुर्लभता १. माणुस खु मुदुल्लहं। -उत्तराध्ययन २०११ मनुष्य जन्म मिलना अत्यन्त कठिन है ।। २. कबीरा नोबत आपुनो, दिन दस लेहु बजाय । यह पुर पट्टन यह गली, बहुर न दग्वो आय । ३. बड़े भाग्य मानुष तनु पावा, सुरदुर्मभ सदग्रहि गावः । -रामचरितमानस दुर्लभं श्रय मेवेतद् , देवानुग्रहहे तुकम् । मनुध्यत्वं मुमुक्ष त्वं, महापुरुष संश्रयः ।। -शंकराचार्य ये तीन चीजें दुर्लभ एवं सद्भाग्य की कृपा के कारण हैं । मनुष्यता, मुमुक्षुता और महापुरुषों की संगति । ५. चत्तारि परमंगारिण, दुल्लहागीह जंतुणो। माणुसत्तं सुई सद्धा, संजममि य बीरियं ।। --उत्तराध्ययन ३१ संसार में सब जीवों के लिए चार परम अंग (उसम संयोग) दुर्लभ हैं--(१) मनुध्यता, (२) धर्म-श्रवण, (३) धर्म में श्रया, (४) मयम में वीर्य-पराक्रम करना ।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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