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________________ मनुष्य का कर्तव्य १. गुमान् पुमांसं परिपातु विश्वतः। -ऋग्वेद ६७५।१४ एक दूसरे की रक्षा-सहायता करना मनुष्य का पहला कर्तव्य है । २. आनृशस्यं परोधर्मः। -भाल्मीकि रामायण ५॥३८॥३६ मानवता का समादर करना मनुष्य का परमधर्म है। ३. अगरबत्ती की तरह जलकर भी दूसरों को सुगन्धित करना मनुष्य का कर्तव्य है। ४. यओज्दो मश्याइ अइपी जॉथम् वहिता । -परन. हा. ४८॥५ मनुष्य के लिए यह सबसे अच्छा है कि यह जन्म से ही पवित्र रहे। ५. मनुष्य के तीन मुख्य कर्तग्य हैं (१) दुश्मन को दोस्त बनाना, (२) दुष्ट को सदाचारी बनाना, (३) अशिक्षित को शिक्षित बनाना । __-शयस्त. सा. शयस्त ६०६ (पारसी धर्मग्रन्थ) ६. कि दुर्लभ ? नृ जन्म, प्राग्येदंभवति सिं च कर्तव्यम् ? आत्महितम हितसंग-त्यागो रागश्च गुरुवचने ।। पुलंभ क्या है ? मनुष्य-जन्म । इसे पाकर बया करना चाहिए ? आत्मा का हित , कुमंग का त्याग और सद्गुरु की वाणी में प्रेम । २३७
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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