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________________ पाँचवा भाग चौथा कोष्टक २२७ से डंक मारता है लेकिन जड़ी के प्रभाव से वह पुनः सज्जित होकर आ भिड़ता है और अन्त में उसे मार डालता है । (नेवले के पास एक जड़ी होती है जिसे छूते ही सांप का जहर उतर जाता है एवं घाव मिट जाता है | ) ६. सांप (क) मेरठ में बदन पर बालवाला एक सांप था। वह सात फूट तीन इंच लम्बा एवं पांच फुट मांझा था। जहरीला इतना था कि डंक मारते ही मनुष्य के कपड़े जल गए एवं उसके शरीर के दो टुकड़े हो गए। --- हिन्दुस्तान, २५ सितम्बर, १९५२ (ख) अफ्रीका में ५० फुट लम्बे सांप पाये जाते हैं । जावा के निकटवर्ती द्वीप में उड़नेवाले भी सांप पाये जाते हैं । - हिन्दुस्तान, २२ मार्च, १६७१ (ग) सर्पिणी की समझदारी - भद्रपुर (नेपाल) से ४-५ मील दूर रामगढ़ गांव के निकट एक खेत में सर्पिणी के बच्चे पड़े थे । उम खेतवाले को दया आई एवं एक कुंडे में डाल उन्हें खेत की खाई में रख दिया। पीछे से सर्पिणी आई और अपने बच्चों को न देखकर व्याकुल हुई। खेत में इधर-उधर काफी दौड़-धूप को लेकिन बच्चे न मिले। उसे बहुत ज्यादा प्यास लगो ! खेत में पड़े हुए घड़े में से पानी पीया और जाते समय उसमें जहर डाल गई। फिर अपने बच्चों की खोज करती हुई बह- खाई में पहुंची। बच्चे मिले, उन्हें लेकर वह उस पानी के
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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