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________________ पाचवा भाग : चौथा कोष्ठक २१६ ४. जल में रहनेवाला एक 'लेडर वर्ट' नामक वृक्ष होता है । उसके तने पर छोटे-छोटे थेले लगे रहते हैं, उन थलों के मुंह पर एक दरवाजा होता है, ज्योंही कोई कीड़ामकोड़ा अन्दर पहुंचता है, त्योंही दरवाजा अपने आप बन्द हो जाता है और वृक्ष कीड़ों का खून चूस लेता है । न्यू साउथवल्मा तथा स्वींसलैंड स्थित जंगलों में 'जीनसलापोर्टिया' नामक अस्सी से १०० फुट एक दैत्याकार वृक्ष पाया जाता है, जिसे वहाँ के लोग 'टच-मी-नांट' की संज्ञा देते हैं । इस वृक्ष के हृदयाकार पत्ते एक फुट से भी लम्बे होते हैं। पत्तों में रेशेदार भरे कांटे होते हैं, जो जहरीले होते हैं । यदि किसी प्रासी का शरीर इन पत्तों से रगड़ ग्वा जाय तो कम से कम चार दिन तक उसे प्राणघातक जलन व पीड़ा भुगतनी ही पड़ती है । जावा के समुद्री तट पर 'भूपन्स' नामका एक नरभक्षी-वृक्ष है | धोम्वे में इसके नीचे आते ही हाथी जैमें जानवर पर भी कंटीली शाखाएं भाषद गड़ती है। टस्मानिया के जंगल में हेरिजिटल नामक एक ऐसा ही खतरनाक वृक्ष पाया गया है । वहां के लोगों का कहना है कि अच्छे से अच्छा जंगल का अनुभवी व्यक्ति भी किसी अन्य की मदद के बिना इस वृक्ष के क्रूर पंजों से मुक्ति नहीं पा सकता । और नो और अगर कोई घुड़सवार भी इसको बगल से गुजरे तो यह उसे भी अपना शिकार बना लेता है । -नवभारत टाइम्स, १७ अक्टूबर, १९७१
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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