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________________ २१८ वक्तृत्वकला के बीज आश्चर्यकारी वृक्ष - १. दक्षिणी अमरीका के ब्राजीलदेश में एक ऐसा वृक्ष है, जिसके सने में करने से मीठा-पोष्टिक दूध निकलता है । इंडोनेशिया के सुमात्राद्वीप में एक जलवर्धक वृक्ष है, जो दोपहर के समय तेजसूर्य की किरणों से हवा के द्वारा भाष लेकर कुछ देर के बाद बरसता है, उससे घड़ा भी भर जाता है | अमरीका के मिशिनिंगन प्रदेश 'हालक्लार्क' नामक व्यक्ति के उद्यान में एक ऐसे वृक्ष का ठंटा खड़ा है, जो मानवाकृति है । उसके हाथ-पैर एवं सिर है, यहाँ तक कि सिर पर टोपी तथा दाहिने हाथ में घड़ी भी है । बिहार में पाँच लाख वर्ग फुट विस्तृत एक बड़ (बरगद) का वृक्ष है । कहा जाता है कि उसके नीचे बीस हजार कन्न हैं | २. मैक्सिको में एक वृक्ष पाया जाता है, उसका गुण यह है कि वह हर समय सुई - डोरा तैयार करता है। वृक्षों की प्रत्येक पक्षी पर सूई काँटा लगा रहता है जिसे खींचने पर दो फुट लम्बा धागा निकल आता है। पक्षिक बखूबी उस प्राकृतिक सूई से अपना काम चला सकता है । - नवभारतटाइम्स, १७ अक्टूबर १६७१ ३. अफ्रीका में माडागास्कर टापू के जंगल में 'कोडो' नामक वृक्ष था। वह निकट आते ही मनुष्य को खीच लेता एवं उसका सार चूसकर वापस फेंक देता था। -डा. कार्ल लीच
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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