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देव-संसार १. देवों की पहचान
अमिलाय - मल्लदामा, अरिणमिसनयणा य नीरजसरीरा , वनेगमा तिरा मिझो कहए।
- व्यवहार २२ भाष्य देवला अम्लानपुष्पमालावाले अनिमेष नेत्रवाले, निर्मल शरीरवाले और पृथ्वी मे चार अंगुल पर रहने वाले होते हैं- ऐमा भगवान का कथन है। देवों की उत्पत्तिमनुष्यणियों की तरह देबियाँ गर्भ धारण नहीं करतीं। देवों के उत्पन्न होने का एक नियत स्थान होता है, उसे उपपात कहते हैं।
स्थानाङ्ग ५।३।१४ ३. देवों की कार्यक्षमता(क) कई देवता हजार प्रकार के रूप बनाकर पृथक्-पथक
हजार भाषायें बोल सकते हैं। -भगवती १४18IE (ख) कई देवता मनुष्यों की आंखों के भापणों पर बत्तीस
प्रकार का दिव्यनाटक दिखा देते हैं, फिर भी मनुष्यों को बिः कुल तकलीफ नहीं होने देते। उन देवों को अध्याबाध देव कहते हैं। भगवतो १४१८३१७
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