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जगत को वश करने के उपाय १. क्षमया, देवया. प्रेम्णा , सुनृतेनार्जवेन च ,
वीकुर्याज्जगत्सर्व, विनयेन च सेवया । क्षमा, दया, म, मयुधाः , नबरा, ..!: बार वा जगत् को वा में करना चाहिए। यदीच्छसि वशीकतु, जगदकेन कर्मणा । पुरा पञ्चदश स्पेयी, गां चरती निवारय ।
-वागश्यनीति १४।१४ जो एक ही कम स जगत् को दश किया चाहते हो तो पहले पन्द्रह गुम्नों से चरती हुई मनरूपी गाय को रोको । तात्पर्य यह है कि ओघ, कान, नाक, जीभ, स्वपा-ये पांचों ज्ञानेन्द्रियां हैं। मुख, हाथ, पाँच, सिंग, गुदा में ये पांच कर्मप्रियां हैं । सन्द, स्पर्ग हप, रस, गंध-य गांच ज्ञानेन्द्रियों के विषय हैं। इन पन्द्रहों के महार में ही मन इधर-उधर भटकता है। अत' इसे इन के राम्पर्क
मे हटायो ! ३. सदभाबेन हरेन्मित्रं, संभ्रमण तु बान्धवान् । स्त्री-भृत्यो दान-मानाम्यां, दाक्षिण्य नेतान् जनान् ।।
--हितोपवेश मभावना मिथ को, सम्मान से बांधवों वो, दान से स्त्री को, मान । सेवक को और चतुरता से अन्य लोगों को वश में करना गहिए ।
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