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पांचवा भाग : तीसरा कोष्ठक
१७५ लोगों की मधियां भिन्न-भिन्न हुआ करती हैं । ७. फकीर हाल में मस्त, जरदार माल में मस्त, बुलबुल बाग में मस्त और आकाश दीदार में मस्त ।
-उर्दू कहावत ८. अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग । ६. अपना-अपना काम, अपना-अपना खाना । १०. अपना ट न देखें और दूसरों की फूली निहारें। ११. दुनियां झुकती है, झुकानेवाला त्राहिए।
___-हिन्दी कहावते १२. मियांजी की दाढ़ी बले, लोग तापण में जावे।।
-राजस्थानी कहावत १३. घर आए पूजें नहीं, बांबी पूजन जाय ।
-हिन्धी कहावस १४. हाथ पोलो-जगत गोलो, हाथ' काठो-जगत भाठो।
-राजस्थानी कहावत