________________
१४
१. कौन है जग में सुखी ? दुखिया तो सब संसार है ।
२. वह मूखों में भी महामूर्ख है- जो मानता है कि संसार में सुख है। मुझे तो जो भी मिला दुःख की कहानी सुनाता निला ।
- विनोना
- कबीर
३. दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णावश धनवान | कछु ना सुख संसार में, सब जग देख्यो छान ॥ ४. सूर्य गरम है चाँद दगीला, तारों का संसार नहीं है । जिस दिन चिता नहीं सुलगेगी, ऐसा कोई त्यौंहार नहीं है । - हिन्दी पद्य
सब को दुःख
५. कोई कहे शुं खाऊं अने कोई कह शामां खाऊं ?
६. ऊंचा चढ़-चढ़ देखो ! घर-घर ओही लेखो ।
८.
संगार में कई अज्ञान से नष्ट हुए मान से नष्ट हुए तथा इयों का दिया ।
गुजराती कहावत
७. केचिदज्ञानतो नष्टा, केचिन्नष्टाः प्रमादतः 1 केचिदज्ञानावलेपेन, केचिन्नष्टस्तु नाशिताः ॥ - सुभाषितावलि
भूल गये रंग-राग, भूल गए छकड़ी । तीन बात याद रही, तेल लूण लकड़ी |
१६६
- राजस्थानी कहावत
कई प्रमाद एवं ज्ञान के अभिनाश नष्ट होनेवालों ने कर
- राजस्थानी पद्य
*