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मोक्ष के साधन
१. मोक्खसम्भूय साहरणा, नाणं च दंसणं चेव चरित चेव ।
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- उत्तराध्ययन २३३३
सम्यग् ज्ञान- दर्जन चारित्र - वे मोक्ष के सावन है। २. गाणं ग्यासगं, मोहओ तवो, संजमो य गुतिकरो । तिण्हंग समाजोगे, मोक्खो जिरणसासणे भओ ।। --आवश्यक नियुक्ति १०३
ज्ञान प्रकाश करता है, तप विशुद्धि करता है एवं संयम पापों का निरोध करता है। तीनों के समयोग से ही मोक्ष होता है । यही जिनशासन का कथन है ।
३. नारणस्स सभ्वस्स प्रशासरणाए, अन्नारण मोहस्स विवज्जरणाए । रागस्स दोसस्स य संखए एगंत सोक्खं समृवेश मोक्खं ॥
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- उत्तराध्ययन ३२१२ सम्पूर्ण ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान एवं मोह के विवर्जन से तथा राग-द्व ेष के क्षय से आत्मा एकान्तनुखमय मोक्ष को प्राप्त होती है ।
४. नारा-किरियाहि मोक्खो ।
- विशेषावश्यक भाष्य गाथा ३
ज्ञान एवं क्रिया (आचार) से ही मुविन होती है ।
५. जे जत्ति आ अ हेउ भवस्स, ते चैव तत्तिया मुक् ।
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- ओघ नियुक्ति ५३