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________________ ५ मोक्ष के साधन १. मोक्खसम्भूय साहरणा, नाणं च दंसणं चेव चरित चेव । J - उत्तराध्ययन २३३३ सम्यग् ज्ञान- दर्जन चारित्र - वे मोक्ष के सावन है। २. गाणं ग्यासगं, मोहओ तवो, संजमो य गुतिकरो । तिण्हंग समाजोगे, मोक्खो जिरणसासणे भओ ।। --आवश्यक नियुक्ति १०३ ज्ञान प्रकाश करता है, तप विशुद्धि करता है एवं संयम पापों का निरोध करता है। तीनों के समयोग से ही मोक्ष होता है । यही जिनशासन का कथन है । ३. नारणस्स सभ्वस्स प्रशासरणाए, अन्नारण मोहस्स विवज्जरणाए । रागस्स दोसस्स य संखए एगंत सोक्खं समृवेश मोक्खं ॥ P - उत्तराध्ययन ३२१२ सम्पूर्ण ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान एवं मोह के विवर्जन से तथा राग-द्व ेष के क्षय से आत्मा एकान्तनुखमय मोक्ष को प्राप्त होती है । ४. नारा-किरियाहि मोक्खो । - विशेषावश्यक भाष्य गाथा ३ ज्ञान एवं क्रिया (आचार) से ही मुविन होती है । ५. जे जत्ति आ अ हेउ भवस्स, ते चैव तत्तिया मुक् । १४८ - ओघ नियुक्ति ५३
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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