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________________ १५ भोजन का समय १. बुभुक्षाकाली भोजनकालः । नीतिवाक्यमृत २५।२६ भूख लगे, बहा भोजन का समय है । २. अक्ष धिवेनामृतमप्युप मृत भर्गत विषम् । -नीतिवाक्यामृत' मुख के बिना लावा हा अमृत भा जहर हो जाता है । ३. नारनीयात मांधिवेलायां, नगच्छेन्नापि संविशेत् । -मनुस्मृति ४१५५ संभ्यास मय भोजने, गमन और मन नहीं करना चाहिए । ४. कौन भाव आहार के इस्छक ? नरक के जीन्न असंहपसमयवाले अन्त मुहून से आहारार्थी (आहार करने के इच्छुक) होते हैं । तिर्यञ्चो में पृथ्वी आदि स्थावर-जीव प्रति समय, हीन्द्रियश्रीन्द्रिय,-चतुरिन्द्रिय अगंख्यासमय वाले अन्नमुहूर्त से तथा तिर्थञ्चपञ्चेन्द्रिय जीव जघन्य अन्तमुहुर्त से एवं उत्कृष्ट दो दिन से आहारार्थी होते हैं । मनुष्यों का जघन्य अन्तम रट एवं उत्कृष्ट तीन दिन के अन्तर से आहार की इच्छा होती है । १०३
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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