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भोजन का ध्येय १. खुराक के लिए नहीं पातु - 1 पालने के लिए है।
---गांधी २. जीने के लिए खाना किसी एक दृष्टि से जरूरी है, किन्तु
रवाने के लिए जीना (ररालोलुप होना! सभी प्रकार से
मूर्खता हैं। ३. स्वाद के लिए खाना अज्ञान, जीने के लिए ग्वाना आवश्य
कता और संयम की रक्षा के लिए खाना साधना है । ४. उता पाटी, हुया माटी । -राजस्थानी कहावत ५. प्रतिदिन दस खरब रक्त के लालपरमाणु नष्ट होते हैं ।
उनकी पूर्ति आहार से ही की जा सकती है।
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