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________________ २४ वक्तृत्वकला के बीज आश्चर्य ! अंबारीसहित हाथी उसीसे ढंक गया 11 वे वस्त्र कितने सूक्ष्म थे, करलो कई उनकी तहें । शहजादियों के अंग, फिर भी झलकते उनमें रहे । * मैथिलीशरण गुप्त (भारत-भारती ) २. वस्त्र बुनने की कला से राजा अपने घर पहुंचा--- प्रसंग - राजकन्या से मोहित एक राजा ने उसकी मांग की, कन्या ने कुछ कला सीखने की शर्त रखी। राजा ने वस्त्र बुनने की कला सीखी एवं विवाह हुआ । वक्रशिक्षित अस्व के कारण एक बार राजा भीषण वन में पहुंचा। भीलों ने वहां उसे कैद कर लिया। इधर मन्त्री खोज कर रहे थे, किन्तु पता न चल सका | बुद्धिमान राजा ने कई रुमाल बुने एवं उनमें शहर में नाम लिखा । भील बेचने सेनासहित मन्त्री आया और राजा को (ग) गायन कला १. नास्ति नादसमो रसः । संगीत के समान कोई रस नहीं है । गुप्तरूप से अपना गये। पता पाकर छुड़ाकर ले गया । १. डाके की मलमल १० गज लम्बी एवं १ हाथ चौड़ी होती थी, जिसका वजन ८ तोले ४ || माझे होता था । अकबर की एक कारीगर ने बांस की नली में डालकर एक मलमल का यान भेंट किया था, जिससे हौदासहित हाथी ढका जा सकता था | औरंगजेब की लड़की ने मलमल की कई तहें करके उस वस्त्र को जोड़ा फिर भी उसका बदन दीखता ही रहा ।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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