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________________ दूसरा कोष्ठक पृष्ट ६७ सं १३८ १ ध्यान, २ ध्यान से लाभ, ३ ध्याता (ध्यान करने वाला), ४ स्वाध्यायध्यान की शरणा, ५ समाश्नि, ६ आहार, ७ भोजन, ८ भोजन की विधि, ६ भोजन कंगा हो ?, १० भाशन के भेद, ११ भोजन में आवश्यक तत्व, १२ गतायनिक नृगनात्मक चार्ट, १६ भोजन फा ध्येय, १४, भोजन की शुद्धि, १५ भोजन का समय, १६ भोजन के समय दान, १, भोजन के बाद, १३ मंजन की मात्रा, १६ मित भोजन, २० अलि भोजन, २१ अधिक स्त्राने वाले आदमी, २२ राक्षसी खराकवाले व्यक्ति. २३ मुफ्त वा खाने वाले, २४ रात्रिभोजन निषेध, २५. रात्रिभोजा हानि, २६ रानि भोजन के त्याग से लाभ, २७ भूख, २८ भूज में स्वाद, २६ भूखा, ३० भूला क्या नहीं करता, ३१ पेट, ३२ पानी। तोसरा कोष्ठक पृष्ट १४२ से २०३ १ मोक्ष भुषित), २ मोक्ष की परिभाषाएं, ३ मोक्ष-स्थान, ४ मोक्ष-माग, ५ गोक्ष के साधन, ६ मोक्षगामी कौन, ७ मुक्त आत्मा, + सिद्ध भगवान, ६ मुक्ति के सुष, १० 'सार, ११ संसार का स्वरूप, १२ संसार के भेद, १३ दुःखरूप रासार, १४ राबको दुःख, १५ सुखशुखमय संसार, १६ गतानुगतिक संसार, १७ परिवर्तनशील संसार, १८ संसार का पागलपन, १६ संसार का स्वभाव, २० दृष्टि के समान सृष्टि, ९१ संसार की उपभाएं, २२ दुनिया की ताकत, २३ जगत को पेश करने के उपाय, २४ संसार की विशालता, २५ नरक संसार, २६ मारना के दुःख, २७ रया में जाने के कारण, २८ नरकमामी कौन ? ६ देव संसार, ३. दश्चय नमस्कार की विचित्र वाते । चौथा कोष्ठका पृ८ २१७ से ३२३ १ तिञ्च संसार, २ आरबर्यकारी नियंटस, ३ दुधमान विश्व
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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