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________________ वक्तृत्वकला के बीज आपने धभं-माग में गुण और कर्म के ही मुख्य माना और 'अहिमा' वो 'परमधर्म' घोषित किया। ३० वर्ष सक धर्म का प्रचार करने के पश्चात् आपका निर्माण कार्तिक कृष्ण अमावस्या को हुआ। -त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र के आधार पर । २. महात्मा बुद्ध ये माया माता और शुद्धोधन राजा के पुत्र थे । इनका नाम सिद्धार्थ राजकुमार था एवं इनकी स्त्री सशोधरा थी। वृद्ध पुरुष को देखकर वैराग्य हुआ। फिर एक बीमार पुरुष को देखा तथा मार खाते हुए बैल को देखा । फिर चींटियों को खाती हुई छिपकली एवं उसको निगलता हुआ सांप,उस पर झपटती हुई चीन और उसे मारते हुए शिकारी को देखा एवं वैरागी बनकर नवजात पुत्र 'राहुल' और उसकी माता 'यशोधरा' को छोड़कर, रात के समय उठकर चल पड़े । ज्ञानी बनकर चार आयं सत्यों का एवं आर्यअष्टांगमार्ग का उपदेश दियावार्यसत्य :---(१) वस्तु क्षणिक है-दुखरूप है। (२) तृष्णा दुःख का मूल है । (३) तुष्णा-नाश से दुःस्व का नाश होता है । (४) रागद्वेष-अहंकार के नाश से निर्वाण होता है। आर्यअष्टांगमार्ग:--(१) सत्यविश्वास, (२) न प्रवचन, (३) उच्चलक्ष्य, (४) सदाचरणा,(५) सत्ति , (६) सद्गुणों में स्थिर रहना, (७) बुद्धि का सदुपयोग, (८) सम्यान । महात्मा बुद्ध ने जातिवाद एवं हिंसा का विरोध किया। एक बार राजा बिम्बिसार के यहाँ पशुवज्ञ हो रहा था। बुद्ध आकर बीच में बड़े हो गये । हिंसा
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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