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चौथा भाग: पहला कोष्ठक
असद्विचार
३. हमें अपने फोड़ों-गिल्टियों से छुटकारा पाने की चिन्ता न करके अपने गलत विचारों से पिंड छुड़ाने की परवाह करनी चाहिए। - वार्शनिक एपिक्टेट्स ४. खुराक की बदहजमी के लिए तो दवा है, पर विचारों की बदहजमी आत्मा को बिगाड़ देती है । - गांधी
५. विचारों की शुद्धि तब हो सकती है, जब वे हवा की तरह उड़कर सबके हृदय लगें, चांदनी की तरह सबकी ऑंखें ठंडी करदें । --- एक विचारक
विचारों का परिवर्तन-
६. अनुभव, ज्ञान, उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को - हरिऔष
बदलते हैं ।
केवल मूर्ख और मृतक दो ही अपने विचारों को नहीं
बदल सकते |
-- लावेल
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