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वक्तृत्वकला के बीज बना दिया । अनेक विदेशी राजदूत भी दर्शकों में शामिल थे।
__ - हिन्दुस्तान, सं० २००६, आसोज सुदी ४. हरिदास नामक एक भारतीय योगी अपनी जीभ को ऊपर उठाकर बड़ी आसानी से माथे को छू लेता है।
– हिन्छस्तान, १३ जून १९७१ बद्रीनाथ (भारत) का वैरागी गिरि दिन में पांच बार प्रार्थना किया दराता रोकतार मे वो के डंडे को आग में तपाकर जीभ से चाट लिया करता था । कहते हैं, वह ५२ वर्षों तक इस साधना में संलग्न रहा 1 --विचित्रा, वर्ष ३ अंक ४, १९७१ लगभग साढ़े छः सौ वर्ष पहले की वात है। दिल्ली के तस्त पर तब सुलतान "मुहम्मद तुगलक' साह्न विराजमान थे। उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका के मरक्को नामक देश का एक यात्री “इब्नबतूता' दुनियाँ की सैर करता हुआ दिल्ली आ पहुंचा । मुहम्मद तुगलक ने उसका बहुत आदर-सत्कार किया, यहाँ तक कि उसे दिल्ली का काजी बना दिया। एक दिन दरबार में योगियों के चमत्कार की बात चलो
और दो योगी (गुरु-शिष्य) उपस्थित हुए । गुरु ने अपने शिष्य को कुछ संकेत दिया । शिष्य ने पद्मासन लगाया, प्रणायाम किया और एक क्रिया ऐसी को कि चिना किसो सहारे के ऊपर उठ गया और उठता ही चला