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________________ शील १. सील विसय विरागो। - शीलपाहर ४० ___ इन्द्रियों के विषय से विरक्त रहना शील है। २. सिरट्ठो सीलट्ठो, सीतलवो सीलहो । –विसुद्धिमग्गो १११६ शिराय (मिर के समान उत्तम होना) शील का अर्थ है । शीतलार्थ (शीतल-शान्त होना) शील का अर्थ है । सोलं सासनस्स आदि । –विसुद्धिमग्गो १७ ___ शील धर्म का आरम्भ है, आदि है। ४. सील मक्खिस्स सोवाणं । -शीलपाहल २० शीन (सदाचार) मोक्ष का सोपान है। सीलगन्ध समो गंधो, कुतो नाम भविस्सति । यो समं अनुवाते च, पदिवाते च वायति ।। –विसुद्धिमग्गो १२४ शील की गन्ध के समान दूसरी गंध कहाँ ? जो पनन की अनुफूल और प्रतिकूल दिशाओं में एवा समान बहती है । सीलं बलं अप्पटिम, सीलं आबुधमुत्तमं । सीलमाभरणं सेह, सील कवचमभुतं ।। -थेरगाथा १२।६१४ शील श्रेपर आभूपण है और शील रक्षा करनेवाला अद्भुप्त कवच है। १९६
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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