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१. ज्ञान के साथ चारित्र आवश्यक १. विना तारित का ज्ञान शीशे की आँस्न के समान केवल दिखाने के लिये है।
-स्विनॉक २. चारित्रहीन-बौद्धिकज्ञान सुगन्धित शव के समान है।
-गोधी ३. No Knowledge In power Unless put in-10 Action, नो नलिज इन पावर अनलेस पृट इन-द ऐक्सन ।
-अग्ने जो कहायत कियाशान्य ज्ञान शक्तिशाली नहीं है। ४. सौ रुपयों की नौली में निन्नानवें रुपये चारित्र हैं और एक रुपया ज्ञान है।
–श्रीकालूगणी ५. सुबहु पि सुयमहीयं, कि काही चरणविप्पहीणस्स । अंधस्स जहा पलिता, दीवसयसहस्स - कोडीवि ।।
--विशेषावश्यकभाष्य, गरथा ११५२ चारित्रहीन पुरुष को बहुत से शास्त्रों का अध्ययन भी क्या लाभ दे सकता है ? क्या लाम्ब्रों दीपकों का जलना भी कहीं अंधे को दीखने में सहायक हो सकता है ? क्रियाविहीनाः खरवद्वहन्ति ।
--सुभत क्रिया-चारिषहीन व्यक्ति गदहे के समान मात्र ज्ञान का बोझा ढोनेवाला है।