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यश्रा चतुभिः कनकं परीक्ष्यते, निर्धर्षणच्छेदन ताप ताड़नः । तथा चतुभिः पुरुषः परीक्ष्यते, त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा ॥
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सानोति शर
बसना वनातवाना, पीटना इन चारों प्रकार से जैसे सोने की परीक्षा की जाती है, वैसे ही दान, शील, गुण और कर्म ( आचारण) – इन चारों से पुरुष की परीक्षा की जाती है । २. बालः पश्यति लिङ्ग, मध्यमबुद्धिविचारयति वृत्तम् । आगमतत्त्वं तु बुधः, परीक्षते सर्वयत्नेन ॥ हरिभवसूरि
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अशानी मात्र बाह्य चिन्ह देखता है। मध्यमवुद्धिवाला आचरण पर विचार करता है और जानो व्यक्ति प्रयत्नों द्वारा सैद्धान्तिक तत्त्वों की परीक्षा करता है ।
३. राहु पया जानीए जां बाहृ पया |
४. लाल गोदड़ियां बिच ही पछानें जांदे
परीक्षाविधि
पूतां रा पग पालणं पिछाणी जं ।
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हन् ।
- पंजाबी कहावतें
- राजस्थानी कहावत