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असइ कुरुववीच्छति ||१५|| पाईए बहिर अंधस्सरूव कियकम्मि नपुंसंग दुक्खरूव । आगारमित्त पंचिदियाण तसु अस्थि देह दुक्कठाण || १६ | | अडनाडि तस्स गन्तरेऽवि अभितरवाहिणि तह अंडंवि । बाहिरपवहाउ तहेव अनाडिए वहति सुछु || १७|| सोणिय वहति अडनाडियाओ तह अन्नघमणिनासंतराओ | दुनिय दुनिय नाडीज वहति सोणिय तह पूइओ अइदुरंत || १८ || अगि तमु वायु सवावि अंगि गभेऽवि हु पात्र भरप्पसंगि। पकुणइ सो लोमाहारमेव अइदुरभिगंध दुद्धर तहेब ||१९|| एरिस अमुक्खभर अणुहवेइ नारय जिम काल अइकमेह । पहुवयण सुणेवि इय गोयमेण पणमिय वित्त को उगेण ||२०|| घत- अणुमइ तुम्ह पामिय दिउं सामिय मियाgत निलोयणिहि । आइट्टउ वीरिहिं चरमसरीरिहिं चल्लिय सो हरिसियमणिहि ||२१|| भास-मियगामह महिरोयन। मुत्तिमंत किरि एह सुरद्दुम अह चितामणि अतुल रक्कम ।। २२ ।। देवि मियावर पिच्छिय नयणिहि आगच्छह जंपर पुण वयणिहिं । आसण मिलिहवि तत्रखणि उट्ठय अमिय मेहबुद्धिि किरि पुट्टिय ||२३|| सामिय अम्ह अणुग्गह किद्धओ नियपयकमलधरिहि जं दिओ | अम्ह मणोरह सयलु विसि
अज अमियरसघुटिहिं पिद्धउ ||२४|| कल किंपि मह आइस दिन असणपाण स्वर तं लिज्जउ । गोयमसामी तो पभणेइ मियादेवि तं कनि सुई ||२५|| इच्छा अम्ह तुम्ह सुयपिक्खणि तत्रखणि तं निसुणेवि विक्खणि । उरो सिंगारिय आणवि गोयम अग्गइ धारिय ||२६|| सुहगुरुचरणिहिं रंगि नमाबइ धम्मलाभ अपिय बुल्लाइ । एणि कज्जि नहु अम्हि इहागय पढम जाय जो अत्थि तुहंगम ||२७|| जानु रूय सिलपुत्तह तुल्ल सन्बह
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